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बूंदी किसान आंदोलन || Bundi Kisan Andolan || Rajveer Sir 1 год назад


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बूंदी किसान आंदोलन || Bundi Kisan Andolan || Rajveer Sir

राजस्थान में किसान आंदोलन बूंदी किसान आंदोलन बूंदी किसान आंदोलन मुख्यत: 'राज्य' प्रशासन के विरूद्ध था, जबकि मेवाड़ में किसानों ने अधिकांशत: 'जागीर' व्यवस्था का विरोध किया था । बूंदी किसान आंदोलन में स्त्रियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । 1922 ई. में बूंदी किसान आंदोलन की शुरूआत लगान व बेगार के विरोध में हुई थी आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चौधरी ने की, बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी।1926 में बूंदी किसान आंदोलन हुआ। इसे बरड़ किसान आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। पंडित नयनूराम शर्मा के नेतृत्व में बरड़ के किसानों ने बैथ-बेगर, लागात और राज्य की अन्य अन्यायपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ आवाज़ उठाई। DsgurujiMenu Search Search Exam or Job Go PDF, Notes, Books DOWNLOAD NOW Telegram Group Join Now राजस्थान में किसान आंदोलन | Farmers Movement Information in Rajasthan राजस्थान में किसान आंदोलन Farmers Movement Information in Rajasthan – जागीरदारो द्वारा किसानों का आर्थिक शोषण के कारण राजस्थान के हर क्षेत्र में किसान आंदोलन प्रारंभ हुए राजस्थान में किसान आंदोलन (Rajasthan me Kisan Andolan) से संबंधित महत्वपूर्ण Information का समावेश इस पोस्ट में किया गया है यह पोस्ट GK से संबंधित आपके ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए सहायक है Table of Contents राजस्थान में किसान आंदोलन-Rajasthan me Kisan Andolan बिजौलिया किसान आंदोलन 1897-1941 Rajasthan ka Bijoliya Kisan Andolan – भारत का प्रथम अहिंसात्मक एवं असहयोगात्मक किसान आंदोलन बिजोलिया किसान आंदोलन था बिजोलिया कृषक आंदोलन का सफल नेतृत्व विजय सिंह पथिक ने किया था विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया के आंदोलन का नेतृत्व 1916 में किया था बिजोलिया किसान आंदोलन को भारत का एकमात्र पंच बोर्ड किसान आंदोलन भी बोला जाता है विजय सिंह पथिक का मूल नाम भूपसिंह था विजय सिंह पथिक जो कि बिजोलिया किसान आंदोलन में भाग लेने से पहले टॉडगढ़ अजमेर में नजरबंद थे बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य कारणों में चंवरी कर और तलवार बंधाई नामक करो से उपजा कृषक असंतोष भी माना जाता है चंवरी कर किसानों द्वारा अपनी पुत्री के विवाह अवसर पर प्रति विवाह ₹5 दिया जाने वाला कर था जो ठाकुर किशन सिंह द्वारा 1903 में लगाया गया था तलवार बंधाई जागीरदार के उत्तराधिकारी हेतु वसूला गया शुल्क था जो ठाकुर पृथ्वी सिंह द्वारा 1906 में लगाया गया था विजय सिंह पथिक को किसान आंदोलन का जनक भी कहा जाता है राजस्थान केसरी और नवीन राजस्थान नामक समाचार पत्रों का बिजोलिया किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था दोनों ही समाचार पत्रों के संपादक विजय सिंह पथिक थे राजस्थान सेवा संघ की स्थापना 1919 में वर्धा महाराष्ट्र में विजय सिंह पथिक ने की थी बेंगु किसान आंदोलन ,चित्तौड़गढ़ 1921-23 Bangu Kisan Andolan – इस किसान आंदोलन का नेतृत्व रामनारायण चौधरी ने किया था बेंगू किसान आंदोलन में तरुण राजस्थान नामक समाचार पत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा था इस किसान आंदोलन में मेवाड़ रियासत ने किसानों की समस्याओं के हल हेतु ट्रेंचआयोग का गठन किया बेंगू किसान आंदोलन में 1921 में मेनाल किसान सभा में किसानों और ठाकुर अनूप सिंह के मध्य हुए समझौते को बोल्शेविक समझौता कहा जाता है बेंगू किसान आंदोलन गोविंदपुरा हत्याकांड के लिए विख्यात रहा है 13 जुलाई 1923 को भीलवाड़ा जिले में हुए इस हत्याकांड में रूपा जी धाकड़ और कृपा जी धाकड़ शहीद हो गए थे बूंदी किसान आंदोलन Bundi Kisan Andolan – नानक जी भील डाबी हत्याकांड बूंदी किसान आंदोलन का प्रमुख शहीद था नानक जी भील को राजस्थान का प्रमुख शहीद बोला जाता है बूंदी किसान आंदोलन बरड क्षेत्र के किसानों ने किया था बूंदी किसान आंदोलन लगभग 17 वर्ष तक चला माणिक्य लाल वर्मा ने बिजोलिया किसान आंदोलन के दौरान पंछीड़ा गीत एवं नानक जी भील की स्मृति में अर्जी नामक गीत की रचना की थी बूंदी किसान आंदोलन मुख्यत: ‘राज्य’ प्रशासन के विरूद्ध था, जबकि मेवाड़ में किसानों ने अधिकांशत: ‘जागीर’ व्यवस्था का विरोध किया था । बूंदी किसान आंदोलन में स्त्रियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । 1922 ई. में बूंदी किसान आंदोलन की शुरूआत लगान व बेगार के विरोध में हुई थी । बूंदी व बिजौलिया के बीच पथरीला व कठोर भाग बरड़ कहलाता था । यद्यपि बेगूं भी बिजौलिया का पड़ोसी ठिकाना था किंतु बरढ़ की सीमाएं बिजौलिया के साथ सटी हुई थी । 1922 ई. में बुंदी रियासत में बरड़ के किसानों द्वारा भंवरलाल सोनी के नेतृत्व मे बरड़ किसान आंदोलन प्रारंभ किया । बूंदी आंदोलन का नेतृत्व पं. नयनूराम शर्मा (1926) ने किया । बूंदी में स्थानीय आंदोलन का नेतृत्व स्वामी नित्यानंद ने किया । इस आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व अंजना चौधरी ने किया ।

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