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प्रज्ञा शिखर टॉडगढ़ रावली अभ्यारण ❤️ sabse sundar jagah 😍 2 года назад


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प्रज्ञा शिखर टॉडगढ़ रावली अभ्यारण ❤️ sabse sundar jagah 😍

#टॉडगढ़ #aravali टॉडगढ़ में इस दल ने वि‍लि‍यम रॉब नाम ईसाई पादरी के नेतृत्‍व में ईसाई धर्म प्रचार करना प्रारम्‍भ कि‍या। शाम सुबह नजदीक की बस्‍ति‍यो में धर्म परि‍वर्तन के लि‍ये जाते तथा दि‍न को चर्च एवं पादरी हाउस/टॉड बंगला ( प्रज्ञा शि‍खर ) का निर्माण कार्य करवाया।अजमेर जि‍ले के अंन्‍ति‍म छोर में अरावली पर्वत श्रृंखला में मन मोहक दर्शनीय पर्यटक स्‍थल टॉडगढ़ बसा हुआ है जि‍सके चारो और एवं आस पास सुगंन्‍धि‍त मनोहारी हरि‍याली समेटे हुए पहाडि‍या एवं वन अभ्‍यारण्य है। क्षेत्र का क्षेत्रफल 7902 हैक्‍टेयर है जि‍नमें वन क्षेत्र 3534 हैक्‍टेयर, पहाडि‍या 2153 हैक्‍टेयर, काश्‍त योग्‍य 640 हैक्‍टेयर है। टॉडगढ़ को राजस्‍थान का मि‍नी माउण्‍ट आबू भी कहते हैं, क्‍यों कि‍ यहां की जलवायु माउण्‍ट आबू से काफी मि‍लती है व माउण्‍ट आबू से मात्र 5 मीटर समुद्र तल से नीचा हैं। टॉडगढ़ का पुराना नाम बरसा वाडा था। जि‍से बरसा नाम के गुर्जर जाति‍ के व्‍यक्‍ति‍ ने बसाया था। बरसा गुर्जर ने तहसील भवन के पीछे देव नारायण मंदि‍र की स्‍थापना की जो आज भी स्‍थि‍त है। यहां आस पास के लोग बहादुर थें एवं अंग्रेजी शासन काल में कि‍सी के वश में नही आ रहे थे, तब ई.स. 1821 में नसीराबाद छावनी से कर्नल जेम्‍स टॉड पोलि‍टि‍कल ऐजेन्‍ट ( अंग्रेज सरकार ) हाथि‍यो पर तोपे लाद कर इन लोगो को नि‍यंत्रण करने हेतु आये। यह कि‍सी भी राजा या राणा के अधीन नही रहा कि‍न्‍तु मेवाड़ के महाराणा भीम सि‍ह ने इसका नाम कर्नल टॉड के नाम पर टॉडगढ़ रख दि‍या तथा भीम जो वर्तमान में राजसमंद जि‍ले में हैं टॉडगढ़ से 14कि‍मी दूर उत्‍तर पूर्व में स्‍थि‍त है, का पुराना नाम मडला था जि‍सका नाम भीम रख दि‍या। 1857 ई.स. में भारत की आजादी के लि‍ये हुए आंदोलन के दौरान ईग्‍लेण्‍ड स्‍थि‍त ब्रि‍टिश सरकार ने भारतीय सेना में कार्यरत सैनि‍को को धर्म परि‍वर्तित करने एवं ईसाई बनाने हेतु इग्‍लेण्‍ड से ईसाई पादरि‍यो का एक दल जि‍समें डॉक्‍टर, नर्स, आदि‍ थें ये दल जल मार्ग से बम्‍बई उतरकर माउण्‍ट आबू होता हुआ ब्‍यावर तथा टॉडगढ़ आया। धर्म परि‍वर्तन के वि‍रोध में टॉडगढ़ तथा ब्‍यावर में भारी वि‍रोध हुआ जि‍ससे दल वि‍भाजि‍त होकर ब्‍यावर नसीराबाद, तथा टॉडगढ़ में अलग अलग वि‍भक्‍त हो गया। टॉडगढ़ में इस दल ने वि‍लि‍यम रॉब नाम ईसाई पादरी के नेतृत्‍व में ईसाई धर्म प्रचार करना प्रारम्‍भ कि‍या। शाम सुबह नजदीक की बस्‍ति‍यो में धर्म परि‍वर्तन के लि‍ये जाते तथा दि‍न को चर्च एवं पादरी हाउस/टॉड बंगला ( प्रज्ञा शि‍खर ) का निर्माण कार्य करवाया। सन् 1863 में राजस्‍थान का दूसरा चर्च ग्राम टॉडगढ़ की पहाडी पर गि‍रजा घर बनाया और दक्षि‍ण की और स्‍थि‍त दूसरी पहाडी पर अपने रहने के लि‍ये बंगला बनाया जि‍समें गि‍रजा घर के लि‍ये राज्‍य सरकार द्वारा राशि‍ स्‍वीकृत की है। पश्‍चि‍म में पाली जि‍ला की सीमा प्रारम्‍भ, समाप्‍त पूर्व उत्‍तर व दक्षि‍ण में राजसमंद जि‍ला समाप्‍ति‍ के छोर से आच्‍छादि‍त पहाडि‍या प्राकृति‍क दृश्‍य सब सुन्‍दरता अपने आप में समेटे हुए है। प्रथम वि‍श्‍वयुद्ध के दौरान टॉडगढ़ क्षेत्र से 2600 लोग (सैनि‍क) लडने के लि‍ये गये उनमें से 124 लागे (सैनि‍क) शहीद हो गये जि‍नकी याद में ब्रि‍टि‍श शासन द्वारा पेंशनर की पेंशन के सहयोग से एक ईमारत बनवाई “फतेह जंग अजीम” जि‍से वि‍क्‍ट्री मेमोरि‍यल धर्मशाला कहा जाता है। (जि‍समें लगे शि‍लालेख में इसका हवाला है।) प्राचीन स्‍थि‍ति‍ में कुम्‍भा की कला व मीरा की भक्‍ति‍ का केन्‍द्र मेवाड रण बांकुरे राठौडो का मरूस्‍थलीय मारवाड। मेवाड और मारवाड के मध्‍य अरावली की दुर्गम उपत्‍यकाओं में हरीति‍मायुक्‍त अजमेर- मेरवाडा के संबोधन से प्रख्‍यात नवसर से दि‍वेर के बीच अजमेर जि‍ले का शि‍रोमणी कस्‍बा हैं। इति‍हासकार कर्नल जेम्‍स टॉड “राजपूताना का इति‍हास” (ANNALS ANTIQUITIAS OF RAJASTHAN) के रचि‍यता की कर्मभूमि‍ बाबाराजस्‍थान राज्‍य के दक्षि‍ण में अरावली पवर्तमाला के मध्‍य में स्‍थि‍त हैं। राष्‍ट्रीय राज मार्ग नं. 8 अजमेर व राजसमंद के मध्‍य भीम कस्‍बे से मात्र 14 कि‍मी दूर दक्षि‍त में स्‍थि‍त है। अगर हम अक्षांश देषान्‍तर की बात करें तो टॉडगढ़ 25डि‍ग्री 42”0” उत्‍तरी अक्षांश व 73 डि‍ग्री 58”0” पूर्वी देशांतर पर स्‍थति‍ है टॉडगढ़ अजमेर जि‍ले का सीमान्‍त कस्‍बा है। टॉडगढ़ की समद्र तल से उंचाई 3281 फीट हैं। मेषसनाथ व भाउनाथ की तपोभूमि‍ क्रान्‍ति‍कारी वीर रावत राजूसिंह चौहान , वि‍जय सि‍ह पथि‍क, व राव गोपाल सिंह खरवा के गौरव का प्रतीक, पवि‍त्र दुधालेश्‍वर महादेव की उपासनीय पृश्ष्‍ठभूमि‍ यही नही बहुत कुछ छुपा रहस्‍य हैं टॉडगढ़ !अरावली पर्वतमाला के मध्‍य स्‍थत होने से यहां का धरातल पहाडी है। टॉडगढ़ कस्‍बा पूरा का पूरा ही पहाडी के चारो और बसा हुआ है इसके कुछ मजरे भी पहाडी पर बसे है तो कई मजरे पहाडि‍यों की तलहटी में बसे हैं पहाड़ी क्षेत्र होने से यहां पर सीढ़ीनुमा खेती की जाती है प्रवाह तंत्र संपादित करें टॉडगढ़ क्षेत्र में बडी नदी तो नह है मगर इस क्षेत्र में वर्षा का पानी यहां के एनीकट व तालाबो को भरता हुआ राजसमंद क्षेत्र में बरार होता हुआ लसाणी गांव की नदी में जाकर मि‍ल जाता हैं जो आगे चल कर खारी नदी में व खारी बनास में व बनास चम्‍बल में व चम्‍बल यमुना में व यमुना गंगा में मि‍ल कर बंगाल की खाडी में मि‍ल जाती है।मानसूनी वर्षा वाला क्षेत्र होने के कारण यहां पर पतझण वन पाये जाते हैं ग्राम टॉडगढ़ का कुल वन क्षेत्र 5 बीघा 10 बि‍स्‍वा 10 वि‍स्‍वांसी हैं जो बहुत ही कम है टॉडगढ़ में 2 भाग हो जाने के कारण अधि‍कांश भाग मालातो की बैर में चला गया क्‍यों कि‍ टॉडगढ़ रावली अभ्‍यारण वाला क्षेत्र मालातो की बैर में चला गया। यहां पर प्रमुख रूप से नीम, बरगद, पीपल, आम, सीताफल, सालर, ढाक, बबूल व इमली आदि‍ वृक्ष अधि‍क मात्रा में पाये जाते हैं इन वृक्षो की पत्‍ति‍यां एक वर्ष में एक बार गि‍र जाने के कारण इन्‍हें पतझड वन भी कहते हैं

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