У нас вы можете посмотреть бесплатно मां चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ llchandrika devi mandir или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
मां चंद्रिका देवी मंदिर llMaa Chandrika Devi Temple your queris chandrika devi mandir lucknow chandrika devi mandir maa chandrika devi mandir chandrika #Maachandrikadevitemple#kathwara#Bakshikatalab#BKT#LUCKNOW#Uttarpradesh#Lucknow2022#Sitapurroadlucknow#NationalHighway-24#chandrikadevi#chandrikachika#chandrikamoralstories#chandrikadevimandir#maachandrikadevi#maachandrikadevimandir लखनऊ: राजधानी का चन्द्रिका देवी मन्दिर पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्त्व रखने के कारण वर्ष भर भक्तों की आस्था का केन्द्र रहता है और नवरात्रों में तो मेले के साथ भक्तों की लम्बी कतारें मॉ भगवती के दर्शन को लगी रहती है । लखनऊ सीतापुर मार्ग नेशनल हाईवे नम्बर 24 पर बक्शी का तालाब से लगभग 12 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर भव्य चन्द्रिका देवी मन्दिर स्थित है। नवदुर्गाओं की सिद्धपीठ चन्द्रिका देवी धाम में एक विशाल हवन कुण्ड, यज्ञशाला, चन्द्रिका देवी का दरबार, बर्बरीक द्वार, सुधन्वा कुण्ड, महीसागर संगम तीर्थ के घाट आदि आज भी दर्शनीय हैं। मॉ चन्द्रिका देवी के दरबार में प्रदेश व देश के लोग मन्नत मांगने आते है और मनचाही मुराद प्राप्त कर देवी माँ का गुणगान करते है। जैसा कि पत्रिका ने अपने सुधि पाठकों से वायदा किया था कि नवरात्रि के पावन पर्व पर नित नई भक्तिमय खबर ले कर आप के बीच होगा तो आज नवरात्रों के दूसरे दिन राजधानी के दूसरे बड़े और पौराणिक महत्त्व वाले चन्द्रिका देवी मन्दिर का दर्शन कीजिये और जय माता दी कहिये । पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्त्व: जानकार बतातें है कि गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियाँ चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं। अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध से यहाँ माँ चन्द्रिका देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है। ऊँचे चबतरे पर एक मठ बनवाकर पजा-अर्चना के साथ देवी भक्तों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है। स्कन्द पुराण के अनुसार द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने माँ चन्द्रिका देवी धाम स्थित महीसागर संगम में तप किया था। चन्द्रिका देवी धाम की तीन दिशाओं उत्तर पश्चिम और दक्षिण में गोमती नदी की जलधारा प्रवाहित होती है तथा पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है। जनश्रुति है कि महीसागर संगम तीर्थ में कभी भी जल का अभाव नहीं होता क्योकिं इसका सीधा संबंध पाताल से है। आज भी करोड़ों भक्त यहाँ महारथी वीर बर्बरीक की पूजा-आराधना करते हैं। = यह भी मान्यता है कि दक्ष प्रजापति के श्राप से प्रभावित चन्द्रमा को भी श्रापमुक्ति हेतु इसी महीसागर संगम तीर्थ के जल में स्नान करने के लिए चन्द्रिका देवी धाम में आना पड़ा था। त्रेता युग में लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के अधिपति उर्मिला पुत्र चन्द्रकेतु को चन्द्रिका देवी धाम के तत्कालीन इस वन क्षेत्र में अमावस्या की अर्धरात्रि में जब भय व्याप्त होने लगा तो उन्होंने अपनी माता द्वारा बताई गई नवदुर्गाओं का स्मरण किया और उनकी आराधना की। तब चन्द्रिका देवी की चन्द्रिका के आभास से उनका सारा भय दूर हो गया था। महाभारतकाल में पाँचों पाण्डु पुत्र द्रोपदी के साथ अपने वनवास के समय इस तीर्थ पर आए थे। महाराजा युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ कराया जिसका घोड़ा चन्द्रिका देवी धाम के निकट राज्य के तत्कालीन राजा हंसध्वज द्वारा रोके जाने पर युधिष्ठिर की सेना से उन्हें युद्ध करना पड़ा, जिसमें उनका पुत्र सुरथ तो सम्मिलित हुआ, किन्तु दूसरा पुत्र सुधन्वा चन्द्रिका देवी धाम में नवदुर्गाओं की पूजा-आराधना में लीन था और युद्ध में अनुपस्थिति के कारण इसी महीसागर क्षेत्र में उसे खौलते तेल के कड़ाहे में डालकर उसकी परीक्षा ली गई। माँ चन्द्रिका देवी की कृपा के चलते उसके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तभी से इस तीर्थ को सुधन्वा कुण्ड भी कहा जाने लगा। महाराजा युधिष्ठिर की सेना अर्थात कटक ने यहाँ वास किया तो यह गाँव कटकवासा कहलाया। आज इसी को कठवारा कहा जाता है। #crazymoment vlog thanks for watching 🙏❤️