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गणपती विसर्जन मिरवणूक नाशिक 2023 | नाशिक ढोलताशा अप्रतिम वादन 🔥 Ganpati Miravnuk Nashik🚩 11 месяцев назад


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गणपती विसर्जन मिरवणूक नाशिक 2023 | नाशिक ढोलताशा अप्रतिम वादन 🔥 Ganpati Miravnuk Nashik🚩

गणेशउत्सव - । पूरे भारत सहित दनिया के कई हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाए जाने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे से हुई थी। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव के दौरान पूरा शहर धार्मिक रंग में रंगा रहता है। पुणे का गणेशोत्सव पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस उत्सव की शुरूआत शिवाजी महाराज के बाल्यकाल में उनकी मां जीजाबाई द्वारा की गई थी। आगे चलकर पेशवाओं ने इस उत्सव को बढ़ाया और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे राष्ट्रीय पहचान दिलाई। ' गणेशोत्सव का समय : हिन्दू पंचांग के अनुसार यह उत्सव भाद्रपद माह की चतुर्थी से चतुर्दशी तक दस दिनों तक चलता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। हिन्दुओं के आदि आराध्य देव है गजानन : गणेश जी हिन्दुओं के आदि आराध्य देव है। हिन्दू धर्म में गजानन को एक विशिष्टि स्थान प्राप्त है। कोई भी धार्मिक उत्सव, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो, निर्विघ्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है। गणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलमूर्ति के नाम से पूजा जाता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। सप्तवाहन शासकों के समय से है गणेशोत्सव की परंपरा : महाराष्ट्र में सात वाहन, राष्ट्र कूट, चालुक्य आदि राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथा चलायी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज गणेशजी की उपासना करते थे। इतिहास में यह वर्णन मिलता है कि शिवाजी महाराज के बाल्यकाल में उनकी मां जीजाबाई ने पुणे के ग्रामदेवता कसबा गणपति की स्थापना की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। पेशवाओं ने दिया बढ़ावा : शिवाजी महाराजा के बाद पेशवा राजाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। पेशवाओं के महल शनिवार वाड़ा में पुणे के लोग और पेशवाओं के सेवक काफी उत्साह के साथ हर साल गणेशोत्सव मनाते थें। इस उत्सव के दौरान ब्राह्मणों को महाभोज दिया जाता था और गरीबों में मिठाई और पैसे बांटें जाते थे। शनिवार वाड़ा पर कीर्तन, भजन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। भजन-कीर्तन की यह परंपरा आज भी जारी है। पहले सिर्फ घरों में होती थी गणेश पूजा : ब्रिटिश काल में लोग किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव को साथ मिलकर या एक जगह इकट्ठा होकर नहीं मना सकते थे। लोग घरों में पूजा किया करते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एक जुट करने में अहम भूमिका निभाई। है। Nashik Ganpati visarjan Nashik Ganpati visarjan 2023 Nashik Ganpati 2023 Nashik Ganpati Nashik Ganpati visarjan mirvanuk Nashik Ganpati mirvanuk नाशिक गणपती मिरवणूक Ganpati Miravnuk Nashik Dhol Ganpati Nashik Dhol Dj Nashik Dhol Tasha Nashik Dhol Ganpati Visarjan Nashik Dhol Original Nashik Dhol 5 Nashik Dhol Songs Nashik Dhol Pathak Nashik Dhol Ganpati Songs Nashik Dhol Ganpati visarjan Ganpati visarjan Nashik maharastra Ganpati visarjan maharstra mirvanuk

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