У нас вы можете посмотреть бесплатно मां मातंगी का दुर्लभ शाबर मंत्र | Rare Shabar Mantra of Maa Matangi | 108 Times | With Lyrics или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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मंत्र तंत्र यंत्र चैनल में आप सभी का स्वागत है आज मैं आप सभी के लिए मां मातंगी का दुर्लभ शाबर मंत्र लेकर आया हूं समस्त जगत जिस शक्ति से चलता है, उस शक्ति की दस स्वरूप हैं ये दस महाविद्याएँ, जिनके नौवें क्रम में भगवती मातंगी का नाम आता है। भगवान शिव के मतंग रूप में उनकी अर्द्धांगिनी होने के कारण ही उनका नाम मातंगी रूप में विख्यात हुआ। मातंगी माता का शाबर मंत्र श्रेष्ठतम साबर मंत्र है मनुष्य जीवन में सदैव मेहनत करता हैं तथा हमेशा यह प्रयत्न करते रहता हैं कि हमारा समाज तथा हमारा परिवार हमसे सदैव प्रसन्न रहे, परन्तु ऐसा होता नहीं है। उसका सबसे बड़ा कारण है कि हमारे पास प्रसिद्धि नहीं है क्यूँकि जब तक हमें जीवन में प्रसिद्धि नहीं मिलती, हमारा कोई सम्मान नहीं करता है। दुनिया सर झुकाएगी तो ही परिवार भी हमें सम्मान देगा। और यदि आप प्रसिद्ध है तो लक्ष्मी भी आपके जीवन में आने को आतुर हो उठती है। यह मंत्र प्रतिदिन सुनने से व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में तथा समाज में ख्याति प्राप्त करता है। वह एक लोकप्रिय और यशस्वी व्यक्तित्व बन जाता है। मंत्रको प्रतिदिन सुनने वाले को पूर्ण गृहस्थ सुख प्राप्त होता है तथा परिवार में सम्मान होता है। साधक को कुटुम्ब सुख, पुत्र, पुत्रियाँ, पत्नी, स्वास्थ्य, पूर्णायु आदि सभी कुछ प्राप्त होता है। माँ मातंगी में महालक्ष्मी समाहित है, अतः ,मंत्र प्रतिदिन सुनने वाले का आर्थिक पक्ष मजबूत होता है। स्वास्थ्य, आय, धन, भवन सुख, वाहन सुख, राज्य सुख, यात्राएँ और विविध इच्छाओं की पूर्ति निस्संदेह हो जाती है यह मां मातंगी का शाबर मंत्र मैं आप सभी के लिए 108 बार जाप करके दे रहा हूं कृपया उसे प्रतिदिन सुने और लाभ लें चैनल को सब्सक्राइब करें धन्यवाद मां मातंगी शाबर मंत्र:- सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ॐ गुरुजी ॐ शून्य शून्य महाशून्य, महाशून्य में ॐ-कार, ॐ-कार में शक्ति, शक्ति अपन्ते उहज आपो आपना, सुभय में धाम कमल में विश्राम, आसन बैठी, सिंहासन बैठी पूजा पूजो मातंगी बाला, शीश पर शशि अमीरस प्याला हाथ खड़ग नीली काया, बल्ला पर अस्वारी उग्र उन्मत्त मुद्राधारी, उद गुग्गल पाण सुपारी, खीरे खाण्डे मद्य-मांसे घृत-कुण्डे सर्वांगधारी । बुन्द मात्रेन कडवा प्याला, मातंगी माता तृप्यन्ते तृप्यन्ते। ॐ मातंगी, सुन्दरी, रुपवन्ती, धनवन्ती, धनदाती, अन्नपूर्णी अन्नदाती, मातंगी जाप मन्त्र जपे काल का तुम काल को खाये । तिसकी रक्षा शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी करे । इतना मातंगी जाप संपूर्ण भया, श्री नाथजी गुरु जी को आदेश आदेश।