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टीम MBCPR के माध्यम से घाटोत्कच लेणी (औरंगाबाद) मे एकदिवसीय श्रमदान शिविर का आयोजन... 🙏सभी भाई बंधुओ एवं बहनो को सादर जय भीम नमोः बुद्धाय 🙏 🙂साथियों, MBCPR टीम की तरफ से दिनांक 25 अगस्त 2024 को महाराष्ट तालुका सिल्लोड,जिला औरंगाबाद स्थित गांव जंजाला मे घाटोत्कच लेणी (गुफाओं) की यात्रा का आयोजन किया गया जिस के अंतर्गत सामूहिक श्रमदान किया गया | 🙏इस ऐतिहासिक श्रमदान के कार्यक्रम के आयोजन मे प्रमुख कार्य इस प्रकार रखा गया की जो भी साथी इस शिविर मे स्वेक्षा से शामिल हो कर कार्य कर सकते है उनका स्वागत है साथ ही जो साथी नहीं आ सकते वे इस कार्य मे बाहर रहते हुए भी मन और धन से सहयोग कर सकते है, अर्थात जो लोग इस कार्य मे भाग ले रहे हैँ उनको धन द्वारा सहयोग करते हुए कार्य को आगे बढ़ाने मे मदत करें |🙏 साथीगण आप सभी को बताना चाहेंगे की आज के दौर मे हमारी विरासत अति प्राचीन बौद्ध गुफाओं पर लोगो के साथ साथ वर्तमान सरकार द्वारा भी बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है जिस कारण बौद्ध स्थलों/ पुरातत्वों एवं लगभग 2500 साल पहले की निर्माण की हुई संस्कृति समाप्त होती जा रही है, और इस धरोहर को जिवंत रखने के उद्देश्य से कुछ साथी ज़ी जान से लगे हुए है जिनमे एक प्रमुख नाम है (MBCPR) यानी Movement Of Buddhist Caves Prevention & Restoration 🙏 साथीगण, हमारे बहुत से साथियों को इस मिशन के बारे मे नहीं पता होने के कारण कार्य अधूरा है जिस के लिए सभी साथियों को एकजुट हो कर कार्य करना जरुरी है, दिनांक 25 अगस्त 2024 के दिन औरंगाबाद जिले के इस जंजाला गांव मे घाटोत्कच गुफाओं पर श्रमदान का आयोजन किया गया जिस के अंतर्गत मुंबई, पुणे, बीड, नासिक, जळगाव, परभणी, हिंगोली सहित महाराष्ट्र के कई जिलों के लगभग 40 से भी ज्यादा लोगो मे श्रमदान के कार्यक्रम मे हिस्सा लिया | *🙏MBCPR के सहयोग से एक मिशन की शुरुआत दि. 25 अगस्त 2024 को दोपहर 10.00 बजे से शाम 6..00 बजे तक चली जिस मे पुरुषो के साथ साथ महिलाओ ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और गुफा के अंदर बुद्ध भगवान के मंदिर की साफ सफाई के कार्य को अंजाम दिया *🙏साथियों बताना चाहेंगे की घाटोत्कच गुफा के अंदर लगभग 2500 साल पुरानी बुद्ध भगवान की अति दुर्लभ कई मूर्तियां है जिन्हे उस समय के लोगों ने पत्थरों को छीनी हथोड़ी से काट काट कर बनाया है जिसे आज के समय के लोगो की कल्पना से परे है, इन मूर्तियों पर धूल मिट्टी जमा हो चुकी थी साथ ही मंदिर के अंदर अनगिनत चमगादड़ों ने अपना अड्डा बना लिया था, दुर्गन्ध इतनी की 5मिनट भी रुकना मुश्किल था, मंदिर के प्रांगड़ मे बरसात का पानी के कारण मिट्टी जम चुकी थी 🙏साथियों, ऐसे विलक्षण एवं अति गन्दगी भरे स्थान पर ग्रुप से जुड़े सदस्यों ने "श्रमदान" का कार्य निः स्वार्थ सेवा भाव से शुर किया और हाथ मे गलब्ज मुँह पर मास्क और सिर पर कपड़ा बाँध कर झाड़ू, ब्रश, फावड़ा, कुदाल इत्यादि लाये हुए सामान सहित कार्य को शुरू किया जिस मे गुबार, गर्दा मिट्टी और कीचड़ होने के कारण बहुत सी दिक्कतों का सामाना करना पडा, श्रमदान की श्रेणी मे कुछ साथियों ने मंदिर के भीतर की साफ सफाई का जिम्मा लिया तो कुछ ने बाहर की गन्दगी को साफ करना शुरू किया और लगभग दो ट्राली जितनी मिट्टी को मंदिर के अंदर से निकाल कर बाहर फेंका गया, शाम 6.00 बजे तक हाथ रुके नहीं और लगभग 40 से भी ज्यादा साथियों की मेहनत से बुद्ध मंदिर की साफ सफाई के कार्य को पूरा किया गया |🙏 🙏हमारे कई साथी जो महाराष्ट्र से है उनके बीच उत्तर भारत के सामाजिक कार्य करने वाले साथियों का साहस बढ़ाते रहे और गले लग कर इस कार्य को करने का अवसर दिया जिस के लिए MBCPR के कार्यकारिणी साथियों का विशेष आभार... 🙏| 🙏तन मन और धन से कार्य करने की दिशा मे MBCPR से जुडी माता और बहनो ने भी श्रमदान मे कोई कसर नहीं छोड़ी, एक तरफ हमारे भाई हाथों मे फावड़ा कुदाल ले कर कीचड़ से सने रास्तो मे घंटों काम कर रहे थे तो दूसरी तरफ हाथों मे झाड़ू, ब्रश और पानी ले कर बुद्ध भगवान की मूर्तियों की साफ सफाई के कार्य का मोर्चा महिलाओं ने संभाला था, मूर्तियों की साफ सफाई के बीच दूसरी तरफ दोपहर लगभग 1.00 बजे नाश्ते चाय और शाम 5.00 बजे भोजन का प्रबंध ग्रुप से जुडी महिलाओं के द्वारा किया गया, लगभग 40 लोगो के लिए भोजन का प्रबंध इन्ही के सहयोग से किया गया, मूर्तितों की साफ सफाई के बाद मंदिर को सजाना सवारना, रंगोली बनाना, दीप प्रज्वलित करने जैसे कई कार्य हमारी इन्ही माता - बहनो के द्वारा किया गया जो की हमारे समाज के लोगो को इनसे बहुत कुछ सीखना बाकी है |🙏 *MBCPR की टीम एवं संगठन से जुड़े साथियों का तहे दिल से आभार...|🙏