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Are We Made of Star Dust?

हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है वायु ,जल ,अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश पांच तत्वों में से एक प्रमुख तत्व वायु जैसे हम प्राण वायु कहते हैं इसके बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं हमारे शरीर को जीवित रखने के लिए इसे हम सांस के द्वारा अपने शरीर में ग्रहण करते हैं आयुर्वेदिक में बात के रूप में शरीर में तीन देशों बात पित्त कफ में भी एक है पित्त कब देगी अन्य धातु है तथा माल यह सब पंगु है अर्थात यह सभी शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्वयं नहीं जा सकते इन्हें वायु ही जहां कहां ले जाता है Register Here:- https://classplusapp.com/w/kdg-classe... App Link Play Store- https://play.google.com/store/apps/de... App Store- https://goo.gl/y2QwV9 Website Link:- https://classplusapp.com/w/kdg-classe... facebook.com/people/Keshav-Gupta/pfbid02zJ8nsh1wMfhEbyDQUVzxgvhu1b twitter.com/KeshavG91665790?t=drj8MUDXczrm5klRePxoAw&s=09 instagram.com/keshavgupta2057/?utm_source=qr&igshid=MzNlNGNkZWQ4M    • Are We Made of Star Dust?      / @kdgclasses   हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है वायु जल अग्नि पृथ्वी एवं आकाश पांच तत्वों में से एक प्रमुख तत्व वायु जैसे हम प्राण वायु कहते हैं इसके बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं हमारे शरीर को जीवित रखने के लिए इसे हम सांस के द्वारा अपने शरीर में ग्रहण करते हैं आयुर्वेदिक में बात के रूप में शरीर में तीन देशों बात पित्त कफ में भी एक है पित्त कब देगी अन्य धातु है तथा माल यह सब पंगु है अर्थात यह सभी शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्वयं नहीं जा सकते इन्हें वायु ही जहां कहां ले जाता है जिस प्रकार आकाश में वायु बादलों को इधर-उधर ले जाता है उसी प्रकार से वायु हमारे शरीर में सभी बेकार पड़े हुए चीजों को गति देता है हम समझ सकते हैं बिना गति के सब बेकार है इसलिए इन देशों बात पित्त कप में बात यानि वायु सबसे अधिक महत्वपूर्ण है यह प्राण वायु ही हमारे शरीर के सुख में से सुख में कानों को गतिमान रखने में सहायता करता है इसलिए उपनिषदों में प्राण को ब्रह्म भी कहा गया है प्राण शरीर के कान-कान में व्याप्त है शरीर के कर्मेंद्रिय तो सो जाती हैं विश्राम कर लेती है किंतु यह प्राण शक्ति कभी भी नहीं सोई ना विश्राम करती है दिन-रात अनवरत अपना कार्य करती रहती है और इस प्रकार प्राणियों में जब तक प्राणवायु अपना कार्य करती है प्राणी जीवित रहता है यह शरीर में कार्य करना बंद कर देती है अर्थात आयु समाप्त हो जाती है तब यह मृतक हो जाता है अर्थात शरीर में प्राण वायु ही सब कुछ है हम कह सकते हैं प्राणी के लिए प्राण वायु ही प्राणी का जीवन है हमारा शरीर प्राण वायु की ऊर्जा शक्ति से क्रियाशील रहता है आहार के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित रह सकता है परंतु प्राण वायु के बिना उसके जीवन एक क्षण भी जीवित नहीं प्राणवायु हमारी इच्छा अनुसार हमारे चारों तरफ एक प्राणिक ऊर्जा क्षेत्र जिसे कह सकते हैं हमारे जीवन शक्ति एवं रोग प्रतिरोधकशक्ति का ही प्राण वायु ही हमारे शरीर को के सभी महत्वपूर्ण अंगों ग्रंथियां हृदय फेफड़े मस्तिष्क मेरुदंड सहित संपूर्ण शरीर को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाता है प्राण वायु की ऊर्जा शक्ति से हमारी कर्मेंद्रिय जैसे आंख में दर्शन शक्ति कानों में श्रवण शक्ति नाश्ता में ग्रहण शक्ति वाणी में सदस्यता मुख पर आता ओह एवं तेज मस्तिष्क में जान सकती ज्ञान शक्ति एवं उधर में पाचक शक्ति का व्रत रहती है इस प्राण वायु को स्थान एवं कार्य के अनुसार अलग-अलग नाम से जाना जाता है शरीर में मुख्य रूप से पांच प्राण एवं पांच उपरांत कहा गया है शरीर के गले में कंठ से हृदय तक जो वायु कार्य करती है उसे हम प्राण कहते हैं यह प्राण वायु नस का कंठस्वतंत्र वाक्य इंद्रिय अन्य नल का श्वसन तंत्र एवं हृदय को क्रियाशीलता एवं शक्ति प्रदान करता है नाही से नीचे मूलाधार पर्यंत अपान वायु कहते हैं यह मल मूत्र और शुक्र आधु वायु गर्व का निसरण इसी वायु द्वारा होता है कंठ के ऊपर से सिर्फ पर्यंत जो प्राण कार्यशील रहता है उसे उड़ान कहते हैं यह उदान वायु कंठ के ऊपर शरीर के समस्त अंगों नेत्र नासिक एवं संपूर्ण मुख्य मंडल को ऊर्जा एवं आभा प्रदान करती है यही उदान वायु हमारे मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होती है हृदय से नाभि तक शरीर में क्रियाशील प्राण वायु को सामान वायु कहा गया है यह सामान वायु हमारे यकृत आप पीलिया एवं अग्नाशय सहित संपूर्ण पंचक तंत्र को नियंत्रित करता है इसके अलावा पूरे शरीर के सभी सूक्ष्म भागों में क्रियाशील प्राण वायु को ज्ञान कहा गया है शरीर की समस्त गतिविधियां को यही ज्ञान वायु जो है उसे नियंत्रित करती है सभी अंगों मांसपेशियों तंतुओं संधिया एवं नदियों को क्रियाशीलता एवं ऊर्जा प्रदान करती है इन पांच प्राणों के अतिरिक्त शरीर में पांच उपकरण वायु है जो हमारी सूक्ष्म क्रियो पर अपना स और डाल देवदत्त प्राण पलक झपकना नाग जब ही लेना कुकरात खुजलाना पूर्व एवं हिचकी लेना धनंजय नमक को प्राण द्वारासाथ जब कभी हमें इन चीजों का एहसास हो तो हमें समझ जाना चाहिए कि हमारा इन उपकरण के कुछ कमी रह गई है प्राण वायु कर प्राण में कोष से संबंधित है और प्राणायाम इन्हीं प्राणों एवं प्राण में कोष को शुद्ध स्वस्थ एवं निरोग रखने में प्रमुख कार्यकर्ता है इसलिए प्राणायाम सर्वाधिक महत्व और उपयोग है ....... #हमारा शरीर कितने तत्वों से बना है #motivational #human body #वायु शरीर के अंदर के तत्वों को गति देती है #human body facts #human body systems #पांचतत्व #हमाराशरीरपांचतत्वोंसेबनाहै #पांचप्राण

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