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Shree Swami Samarth | Tarak Mantra | श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र | निःशंक होई रे मना निर्भय होई रे मना निशंक होई रे मना,निर्भय होई रे मना। प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना। अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी, अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।१।। जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय, स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय। आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला, परलोकी ही ना भीती तयाला अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।२।। उगाची भितोसी भय हे पळु दे, वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे। जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा, नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।३।। खरा होई जागा श्रद्धेसहित, कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त। आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ, नको डगमगु स्वामी देतील हात अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।४।। विभूति नमन नामध्यानार्दी तीर्थ, स्वामीच या पंचामृतात। हे तीर्थ घेई आठवी रे प्रचिती, ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती ।।५।। अशक्य ही शक्य करतील स्वामी अशक्य ही शक्य करतील स्वामी.