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श्री सिद्धमंगल स्तोत्र एक संस्कृत भाषा का स्तोत्र है. हिन्दू सनातन धर्म में भगवान की पूजा, अर्चना, स्तुति के लिए विविध स्तोत्रों का पठन किया जाता है. सिद्धमंगल स्तोत्र भगवान दत्तात्रेय का प्रथम अवतार श्रीपाद वल्लभ की स्तुति में गाया जाता है. इस स्तोत्र की रचना श्रीपाद श्रीवल्लभ के नाना बापनाचार्युलू ने की है. Music & Singer - Vipul Trivedi श्री सिद्धमंगल स्तोत्र श्रीमदनन्त श्रीविभूषित अप्पललक्ष्मीनरसिंहराज । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ १॥ श्रीविद्याधरी राधासुरेखा श्रीराखीधर श्रीपाद । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ २॥ माता सुमती वात्सल्यामृत परिपोषित जय श्रीपाद । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ३॥ सत्यऋषिश्वर दुहितानन्दन बापनार्यनुत श्रीचरण । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ४॥ सवितृकाठकचयनपुण्यफल भारद्वाजऋषिगोत्रसम्भव । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ५॥ दो चौपाती देव लक्ष्मिगणसङ्ख्याबोधित श्रीचरण । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ६॥ पुण्यरूपिणी राजमाम्बसुतगर्भपुण्यफलसञ्जात । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ७॥ सुमतीनन्दन नरहरीनन्दन दत्तदेव प्रभु श्रीपाद । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ८॥ पीठिकापुर-नित्यविहारा मधुमतीदत्ता मङ्गलरूपा । जय विजयी भव दिग्विजयी भव श्रीमदखण्ड श्रीविजयी भव ॥ ९॥ इति श्रीसिद्धमङ्गलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।