У нас вы можете посмотреть бесплатно Abir Gulal by Mr. Parshuram Mahant / अबीर गुलाल उधळीत रंग - श्री. परशुराम महंत или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
अबीर गुलाल उधळीत रंग। नाथा घरी नाचे माझा सखा पांडुरंग॥ ------------------------------------------------------------------------------------------------------- आज सकाळी अभंगाचे सूर कानावर पडले...आधी वाटलं कुठेतरी स्पीकर्स लावलेत! नंतर लक्षात आले खाली सोसायटीच्या गेटजवळ दोघे जण गाताहेत...एकाच्या गळ्यात संवादिनी, दुसर्याच्या गळ्यात तबला !! त्यांचा अल्पपरिचय झाला, तो असा - दोघांपैकी एकाचे नाव परशुराम महंत. मूळ कानडी. सध्या कात्रजला (पुणे) रहातात. अभंग / भजनाचा २-३ तासांचा कार्यक्रम करु शकतात. संपर्क - ९९७०२-४८५१४ (99702-48514) कृपया तुमच्या मित्रमंडळींना कळवा / share करा !!! ------------------------------------------------------------------------------------------------------- अबीर गुलाल उधळीत रंग। नाथा घरी नाचे माझा सखा पांडुरंग॥ उंबरठ्यासी कैसे शिऊ आम्ही जातिहीन| रूप तुझे कैसे पाहू त्यात आम्ही लीन| पायरीशी होऊ दंग गावूनी अभंग॥ वाळवंटी गावू आह्मी वाळवंटी नाचू। चंद्रभागेच्या पाण्याने अंग अंग न्हाऊ। विठ्ठलाचे नाम घेऊ होउनी निसंग॥ आषाढी-कार्तिकी भक्तजन येती। पंढरीच्या वाळवंटी संत गोळा होती। चोखा म्हणे नाम घेता भक्त होती दंग॥