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Laissez-faire Leadership | “अहस्तक्षेप” काश भारत के करोड़ों लोग ये वीडियो देखें Harshvardhan Jain 10 месяцев назад


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Laissez-faire Leadership | “अहस्तक्षेप” काश भारत के करोड़ों लोग ये वीडियो देखें Harshvardhan Jain

#Laissez_faire_Leadership #अहस्तक्षेप #harshvardhanjain Never be so supportive of someone that he becomes helpless.  Help someone so much that he can help himself.  When you interfere too much in someone's life, then his existence becomes on the verge of extinction.  Through struggle, a person improves, recovers, learns, changes and becomes powerful to fulfill his future dreams. कभी किसी का इतना सहारा मत बनो कि वह बेसहारा हो जाए। किसी की इतनी मदद करो कि वह अपनी मदद स्वयं कर सके। जब आप किसी के जीवन में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं, तब उसका अस्तित्व विलुप्त होने के कगार पर हो जाता है। संघर्ष से व्यक्ति निखरता है, संभलता है, सीखता है, बदलता है और भविष्य के सपनों को पूरा करने के लिए शक्तिशाली बनता है। लेकिन यदि आपने उसे संघर्ष करने का अवसर ही नहीं दिया तो वह खुद को बदलते परिवेश में ढाल नहीं पाएगा। संघर्ष सफलता की सीढ़ी है। जिसने संघर्ष का सागर पार नहीं किया, उसने कभी स्थायी सफलता का निर्माण नहीं किया। जैसे किसी को बार-बार मछली फ्री देने के बजाय मछली पकड़ना सिखा देना सबसे बड़ी सहायता होती है। किसी व्यक्ति को नाव चलाना सिखा दें जिससे वह नाव चलाकर अपनी जीविका चला सके। इससे बड़ी सहायता कोई दूसरी नहीं, कि लोगों को उनके पैरों पर खड़े होने का अवसर खोजने में सहायता करें। यदि खुद शक्तिशाली बनना चाहते हो तो दूसरों को सशक्त बनाने की कोशिश  करें। हमें वह व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए जो हमें स्वयं के लिए पसंद नहीं है।इसलिए यदि हमें दूसरों का हस्तक्षेप पसंद नहीं है, तो हमें भी दूसरों के जीवन में, दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप करना नहीं चाहिए। हमें अपनी सीमाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। हमें दूसरों की सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। जब हम दूसरों की सीमाओं में हस्तक्षेप करते हैं, तब हम अपने ही सामर्थ्य पर हस्तक्षेप कर रहे होते हैं। हमारा सामर्थ्य दुनिया में उन गिने-चुने लोगों की तरह ही होता है, जो लोग दुनिया की दशा और दिशा तय करते हैं। यदि हम दूसरों के सामर्थ्य का सम्मान ना करके, उनके सामर्थ्य को उभरने से रोकते हैं, तो हमारे सामर्थ्य के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं। इसलिए अपने भविष्य को उस ऊंचाई पर लेकर जाएं, जहां पर विश्वास का सागर लहराता है। विश्वास का सागर जीतने के लिए दूसरे की सीमाओं का सम्मान, दूसरे के सामर्थ्य का सम्मान, दूसरे के सपनों का सम्मान और दूसरे के अस्तित्व का सम्मान करना अति आवश्यक होता है। सफल लोग सोच समझ कर बोलने की आदत विकसित करते हैं क्योंकि बिना सोचे समझे बोलना विवादों का कारण बनता है और विवादों से दूर रहने वाला व्यक्ति सम्मान और सफलता का पात्र होता है। हमें अनावश्यक विवादों से बचना चाहिए। विवादों में उलझने से उन्नति की गति धीमी हो जाती है, छवि धूमिल हो जाती है और अनावश्यक समस्याओं और बाधाओं का जन्म होता है। इसलिए अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने कदम बढ़ाने की आदत बनानी चाहिए। आपके सामर्थ्य का डंका पूरी दुनिया में बजने का सामर्थ्य रखता है। जरूरत है सिर्फ अपनी विज़न को फोकस करने की। ऐसी विचारधारा दुनिया के विकास में सहायक सिद्ध होती है। प्रत्येक व्यक्ति यदि ऐसी विचारधारा विकसित कर ले, तो दुनिया में उन्नति और खुशहाली का वातावरण विकसित हो जाएगा।

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