У нас вы можете посмотреть бесплатно Navratri Special || Mata Ji Ki Aartiyan || Jai Ambey Gauri || Santoshi Mata || Om Jai Pravati Mata или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
Navratri Special || Mata Ji Ki Aartiyan || Jai Ambey Gauri || Santoshi Mata || Om Jai Pravati Mata जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों । बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी] मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता । अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो । हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ गेरू लाल छटा छबि, बदन कमल सोहे । मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर दुरे प्यारे । धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो । संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही । भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ मंदिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई । विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै । जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ दुखी दारिद्री रोगी, संकट मुक्त किए । बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ ध्यान धरे जो तेरा, वांछित फल पायो । पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ चरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे । संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ॥ सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे । रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे ॥ जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता । अपने सेवक जन की, सुख सम्पति दाता ॥ जय पार्वती माता जय पार्वती माता। ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥ जय पार्वती माता अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता। जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा। देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥ जय पार्वती माता सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता। हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥ जय पार्वती माता शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता। सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥ जय पार्वती माता सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता। नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता देवन अरज करत हम चित को लाता। गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥ जय पार्वती माता श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता। सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता