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मथुरा हिंदू धर्म के लिए एक पवित्र शहर है और कृष्ण की भूमि बृज भूमि का दिल माना जाता है। मथुरा का जुड़वाँ शहर वृंदावन है। मथुरा और उसके पड़ोसी शहरों में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कई स्थान हैं। कृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर मंदिरों का एक महत्वपूर्ण समूह है जो कि भगवान् कृष्ण की जन्मभूमि मानी जाती है । भूतेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह एक शक्तिपीठ भी है जहाँ माता सती के सती होने पर उनकी अंगूठी गिरी थी। यह मंदिर पवित्र और अनोखा है क्योंकि यह शहर के उन कुछ मंदिरों में से एक है जो भगवान कृष्ण को समर्पित नहीं हैं। भूतेश्वर महादेव मंदिर, सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जिसमें पाताल देवी गुफा भी है, जहाँ राजा कंस ने भगवान कृष्ण की पूजा की थी। मथुरा का द्वारिकाधीश मंदिर नगर के राजाधिराज बाज़ार में स्थित है। यह मन्दिर अपने सांस्कृतिक वैभव कला एवं सौन्दर्य के लिए अनुपम है। श्रावण के महीने में प्रति वर्ष यहाँ लाखों श्रृद्धालु सोने–चाँदी के हिंडोले देखने आते हैं। मथुरा के विश्राम घाट के निकट ही असकुंडा घाट के निकट यह मंदिर विराजमान है। कहते हैं द्वारकाधीश कृष्ण मंदिर उसी जगह है, जहां हजारों साल पहले द्वापर युग में भगवान कृष्ण का निवास स्थाल हरि गृह हुआ करता था. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने करवाया है. गुजरात के द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि कंस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण ने इसी स्थान पर विश्राम किया था। विश्राम घाट पर कई सुंदर मंदिर और मथुरा के कुछ सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं जिनमें मुकुट मंदिर, राधा-दामोदर, मुरली मनोहर आदि शामिल हैं। कंस किला या कंस किला भारत के मथुरा में स्थित एक किलेबंद महल है। महल का सबसे पहला निश्चित उल्लेख 18वीं शताब्दी में नरहारा चक्रवर्ती द्वारा किया गया है, जिन्होंने इसे कंस के महल के खंडहर बताया था। तब से, महल की दीवारें काफी हद तक ढह गई हैं और साइट पर अतिक्रमण हो गया है। कृष्ण जन्म भूमि जिसे कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मल्लापुरा, मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में हिंदू मंदिरों का एक समूह है। ये मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां जगत के पालनहारकृष्ण का जन्म माना जाता है। जन्मभूमि के निकट ही औरंगजेब द्वारा निर्मित इमारत ( मस्जिद )भी स्थित है।