Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб सच्चियाय माता मंदिर का इतिहास ( पूरी जानकारी ) Full HD Video || Sachiyay Mata Mandir Osiya, Jodhpur в хорошем качестве

सच्चियाय माता मंदिर का इतिहास ( पूरी जानकारी ) Full HD Video || Sachiyay Mata Mandir Osiya, Jodhpur 3 года назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



सच्चियाय माता मंदिर का इतिहास ( पूरी जानकारी ) Full HD Video || Sachiyay Mata Mandir Osiya, Jodhpur

सच्चियाय माता मन्दिर का पूर्ण इतिहास मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से .......... सच्चियाय माता मन्दिर -------------------------- सच्चियाय माता का मंदिर धर्म संबंधी जानकारी सम्बद्धता हिंदू धर्म अवस्थिति जानकारी अवस्थिति ओसियां ,जोधपुर, राजस्थान वास्तु विवरण प्रकार मंदिर सच्चियाय माता (सचिया माता) के नाम से भी जानी जाती है इनका मंदिर जोधपुर से 63 किमी दूर ओसियां में स्थित है। यह मंदिर जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर है इसका निर्माण 9वीं या 10वीं सदी में उपेन्द्र ने करवाया था। सच्चियाय माता की पूजा ओसवाल, जैन, परमार, पंवार, कुमावत, राजपूत, जाट, चारण (पंवार वंश गेेेहड देवासी) पारिक इत्यादि जातियों के लोग पूजते हैं। [1][2] अनुक्रम 1 हिन्दु पौराणिक इतिहास 2 जैन पौराणिक इतिहास 3 वर्तमान 4 इन्हें भी देखें 5 सन्दर्भ हिन्दु पौराणिक इतिहास सच्चियाय माता का पूर्व का नाम साची था तथा ये असुर राजा पौलोमा की बेटी थी। राजा पौलोमा वृत्र के सेना प्रमुख थे। वृत्र साची से विवाह करना चाहती थी। परंतु साची उससे विवाह नहीं करना चाहती थी इस कारण पौलोमा ने वृत्र का कार्य छोड़ दिया। पौलोमा दधीचि से विवाह कराना चाहता था। इसके पश्चात् दधीचि और वृत्र के बीच घमासान युद्ध हुआ , युद्ध में यह प्रस्ताव रखा गया कि जो युद्ध जीतेगा वह साची से विवाह करेगा। आखिर में वृत्र ने युद्ध जीता और विवाह किया। जैन पौराणिक इतिहास एक पत्थर शिलालेख जो ओसियां में मिला था वह कुछ और कहानी बतलाती हैं। जैन धर्म के एक आचार्य श्रीमद् विजय रत्नाप्रभासुरीजी ने ओसियां की यात्रा की थी इनके अनुसार ओसियां का पूर्व का नाम उपकेशपुर था और यहाँ चामुण्डा माता का एक मंदिर भी था। इनका मानना था कि चामुण्डा माँ लोगों से भैंसों की बली मांगती थी। जैन साधु विजय रत्नाप्रभासुरीजी इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे थे। इनका मानना था कि चामुण्डा माता का दूसरा नाम (सच्चियाय माता) ही था। वर्तमान आज वर्तमान समय में सच्चियाय माता के मंदिर में मिठाई, नारियल, कुमकुम, केसर, धुप, चंदन, लापसी इत्यादि का छड़ावा किया जाता है।[3] बलि का कहीं ज़िक्र भी नहीं होता है। सच्चियाय माता के मंदिर कैसे जाये , कब जाये , कुल खर्चा , कहा रुके , मेला कब होता है , राजस्थान के प्राचीन मंदिर , ऐतिहासिक धरोहर , विश्व के सबसे शानदार मंदिर , धार्मिक स्थान राजस्थान | #Merapyararajasthan #सच्चियायमाता

Comments