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जानिए मारहरा का रोचक इतिहास क्यों है मारहरा बहुत ख़ास 2 года назад


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जानिए मारहरा का रोचक इतिहास क्यों है मारहरा बहुत ख़ास

Marehara के बारे में । और जानने के लिए हमे इंस्टाग्राम pr फॉलो करें । और मेसेज करें । हम आपको PDF सेंड कर देंगें 👇   / etahtak   : कस्बा की ऐतिहासिकता को देखते हुए यहा किसी भी जनप्रतिनिधि ने इसके विकास का कोई खाका नही खिंचा, कस्बा में आने जाने के लिए कोई पर्याप्त साधन नही है, मथुरा-कासगंज रेलवे लाइन से जुड़ा होने से जरूर रेलवे की सुविधा का लाभ यहा के वाशिंदों को मिल जाता है, रोजगार के मामले में यह काफी पिछड़ा हुआ है कभी यहा की लाख की चूड़िया देशभर की स्त्रियों के हाथो की शोभा बढ़ाती थी लेकिन कोई सरकारी मदद न मिलने के कारण यह रोजगार पूरी तरह उजड़ गया, मूंगा-मोती का कारोबार भी काफी प्रसिद्ध था लेकिन वह भी नहीं रहा, आज यह कस्बा अपनी बदहाली पर आंसू बहाता है। : मारहरा यूपी का एक कस्बा है जो खिलजी और राजपूतों की दोस्ती की मिसाल है। यह कस्बा कभी स्वरूपगंज नाम का हुआ करता था, हालांकि इस कस्बे को अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना की एक टुकड़ी पर यहां के वाशिंदों द्वारा हमला कर लूटपाट करना रहा था,आज इस कस्बे को मारहरा के नाम से जाना जाता है,यहां मशहूर सूफी बुज़ुर्ग सैय्यद शाह बरकतुल्लाह साहब की दरगाह शरीफ है जो दुनियाभर में बरकाती सिलसिले के रूप में जानी जाती है,अलाउद्दीन खिलजी के आदेश पर राजपूत हाकिम द्वारा बसाया गया यह कस्बा आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है। कस्बा की ऐतिहासिकता को देखते हुए यहा किसी भी जनप्रतिनिधि ने इसके विकास का कोई खाका नही खिंचा, कस्बा में आने जाने के लिए कोई पर्याप्त साधन नही है, मथुरा-कासगंज रेलवे लाइन से जुड़ा होने से जरूर रेलवे की सुविधा का लाभ यहा के वाशिंदों को मिल जाता है, रोजगार के मामले में यह काफी पिछड़ा हुआ है कभी यहा की लाख की चूड़िया देशभर की स्त्रियों के हाथो की शोभा बढ़ाती थी लेकिन कोई सरकारी मदद न मिलने के कारण यह रोजगार पूरी तरह उजड़ गया, मूंगा-मोती का कारोबार भी काफी प्रसिद्ध था लेकिन वह भी नहीं रहा, आज यह कस्बा अपनी बदहाली पर आंसू बहाता है।

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