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"भोजन के नियम" की विडीयो सीरीज के, यह 1st विडीयो में "भोजन करते समय किन बातों का ध्यान रखें ?" उसके बारें में बताया गया है और "भोजन करने के 10 नियम" के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है । आचार्य मेहुलभाई के बारें में : ---------------------------------------------------- डॉ. मेहुलभाई आचार्यने 11 वर्षो तक पूज्य गुरुवर्य श्री विश्वनाथ शास्त्री यानी दातार गुरूजी के सानिध्य में रहकर दर्शनशास्त्र, संस्कृत व्याकरण, वेद, वेदांत, उपनिषद, आयुर्वेद, ज्योतिषशास्त्र, अर्थशास्त्र, भगवद् गीता, ब्रह्मसूत्र जैसे बहुत सारें प्राचीन शास्त्रों का गहन अध्ययन किया । बाद में, उन्होंने दर्शनशास्त्र व आयुर्वेद में Ph.D कीया और भारतदेश के काफी सारे गुरुकुलो में आचार्य के रूप में कार्य किया एवं गुरूजी द्वारा शरु की हुई “मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् मुवमेन्ट” को बाल स्वास्थ्य पर चलने वाली “विश्व की सबसे बड़ी मूवमेन्ट” बनाते हुए, “वर्ल्ड रेकोर्ड” प्रस्थापित किया । वर्तमान में वह “संस्कृति आर्य गुरूकुलम्” के प्रमुख आचार्य और संचालक के रूप में कार्यरत है और गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ दातार गुरूजी जितने भी समाजपयोगी प्रकल्प दिये है, उसका विविध प्रवचन, अभियान व शिविर के माध्यम से Online व Offline प्रचार-प्रसार करके, जनमानस तक पहोंचाने का उत्कृष्ट कार्य अविरतरूप से कर रहे है । संस्कृति आर्य गुरुकुल की उपलब्धियाँ : ---------------------------------------------------- संस्कृति आर्य गुरुकुलम् की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है के, “उसने 100 से भी ज्यादा जीवनपयोगी विषयों का पुन:संकलन किया और उसे विलुप्त होने से बचाया ।” फीर, सबसे पहली उपलब्धि यह है की, “गुरुकुल शिक्षा के माध्यम से आदिकाल से चली आ रही प्राचीन ऋषि परंपरा के वैदिक ज्ञान को अभी तक टीकाकर रखा ।” उसके बाद दूसरी उपलब्धि यह है की, “सुवर्णप्राशन और गर्भसंस्कार जैसे विषयों को पुन:जीवित किया और राष्ट्रपति पुस्कार एवं उप-राष्ट्रपति सन्मान प्राप्त किया ।” उसके बाद तीसरी उपलब्धि यह है की, “उसने पुष्यनक्षत्र पर बच्चों को नि:शुल्क सुवर्णप्राशन पिलाने की विश्व की सबसे बड़ी मूवमेन्ट चलायी और वर्ल्ड रेकोर्ड बनाया ।” गुरुकुल के संस्थापक के बारें में : --------------------------------------------- परम पूज्य विश्वनाथ शास्त्री यानी दातार गुरूजी का जन्म ई.स. 1922 में विद्यानगरी वाराणसी (काशी) में हुआ था । उन्होंने लगातार 60 वर्षो तक “गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था” के पर अविरतरूप से कार्य किया और अपना पूरा जीवन ईस महान कार्य में समर्पित करते हुए, ई.स. 1970 में “संस्कृति आर्य गुरुकुलम्” की स्थापना की । उन्होंने वेद, उपवेद, वेदांत, दर्शन, उपनिषद जैसे तमाम भारतीय शास्त्रों का गहराई से अध्ययन किया और शास्त्र-संशोधन द्वारा सुवर्णप्राशन, गर्भसंस्कार, पंचकोष विकास, वैदिक पेरेंटिंग, वैदिक कृषि, दशगव्य आयुर्वेद, देवव्यपाश्रय चिकित्सा, यथार्थ रामायण, भगवद् गीता जैसे 100 से भी ज्यादा जीवनपयोगी विषयों को पुनःसंकलित भी किया । गुरूजी को समाज-कल्याण व शास्त्र संशोधन के ऐसे अद्भुत कार्यो के बदले में, काशी के महाराजा द्वारा “सेवारत्न” का सन्मान, सन् 1990 में वेंकटरामनजी द्वारा सुवर्णप्राशन तथा शास्त्र संसोधन हेतु “राष्ट्रपति पुरस्कार” तथा सन् 2002 में भैरोंसिंह शेखावतजी द्वारा गर्भसंस्कार तथा शास्त्र संशोधन हेतु “उप-राष्ट्रपति सन्मान” भी मिल चूका है । हर्डीकर दादा के अनुभवसिद्ध प्रयोग • हर्डीकर दादा (राजीवभाई के गुरु) के अन... आयुर्वेद के विविध आचार्य के बारे में जानने के लिए • आयुर्वेद के आचार्य आयुर्वेद के मुख्य ग्रंथ के बारें में जानने के लिए • Плейлист विरुद्ध आहार के बारे में जानने के लिए • विरुद्ध आहार (Viruddh Ahar) भोजन करने के 10 नियम | Bhojan ke Niyam | खाना खाने का सही तरीका | Rajiv Dixit Ashtanga Hridayam #rajivdixit #ashtangahridayam #ayurveda #vagabhata #healthyeating #healthyeatingtips #healthyeatinghabits #health #healthtips #healthyhabits #ayurvedictips #ayurvedapecharcha #ayurvedaforhealth #shastroktaayurveda #acharyamehulbhai