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HIMALAYAN HIGHWAYS| भेंकलताल मेले के रंग तालगैर मैदान से | UTTARAKHAND| CHAMOLI| THARALI 2 года назад


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HIMALAYAN HIGHWAYS| भेंकलताल मेले के रंग तालगैर मैदान से | UTTARAKHAND| CHAMOLI| THARALI

‪@HimalayanHighways‬ Himalayan highways। हिमालयन हाइवेज बुग्यालों के सर्द मौसम में अपने मखमली घास के मैदान के साथ तालगैर का मैदान आपका स्वागत करता है.... हिमशिखरों से निकलने वाली जलधाराएं जहां खुद में संगीत समेटे बहती हो उसी पवित्र भूमि पर विराजते हैं भेंकलनाग देवता... जीवन का उल्लास जब मेलों में नजर आये तो फिर भला तालगैर के मैदान में रौनक क्यों न हो... यहां संगीत की धुन पर थिरकते कदमों की जुगलबंदी भी है, यहां मखमली दूब पर खुद को आजमाते खिलाड़ी भी है ओर हां ये भी तो खास है... नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर एपिसोड में आपका स्वागत है। आज के इस खास एपिसोड में हम आपके लिए लेकर आये है भेंकलताल मेले की खूबसूरत तस्वीरों की कहानी तालगैर मैदान की जुबानी. चमोली जनपद के थराली तहसील स्थित रतगांव के ऊपरी हिस्से में स्थित तालगैर मैदान में हर साल पर्यटन मेले का आयोजन किया जाता है और सोल घाटी के सोलह गांवों का यह मेला स्थानीय क्षेत्र में सबसे खास रहा है। आज हम जानेंगे भेंकलताल मेले का इतिहास साथ मे वर्तमान का सफर ओर भविष्य की राह तालगैर मैदान की जुबानी.... ब्रह्मताल और भेंकलताल कि जलधाराओं से संचित मैं तालगैर का मैदान हूं. हर सुबह पूरब से निकलने वाली धूप की किरणों से मेरा श्रंगार होता आया है लेकिन बुग्यालों में होने के चलते अक्सर कोहरे की पतली चादर मेरे आस-पास ही मंडराती रहती है। सुदृर पहाड़ों में जीवन को मैनें बड़ी नजदीक से महसूस किया है और यह दौर वो था जब बुनियादी सुविधाओं का अभाव से क्षेत्र में सबसे बडी समस्या थी। सड़क संचार से अछूते इस क्षेत्र में लोगों का जीवन बेहद एकांत में गुजरता था। बात कोई आज से तीस साल पहले शुरू हुई थी जब भेंकलनाग देवता के मन्दिर वाली मेरी जमीन पर पहली बार मेले का आयोजन शुरू हुआ. भेंकलताल पर्यटन मेले का आयोजन मेरे लिए भी हैरान करने वाला अनुभव था पहली बार मैनें खुद की पहचान दूर दूर तक होती देखी। मन में कई शंकाएं लिए एक बार आयोजन शुरू हुआ तो फिर मैनें हर साल यहां पहले के मुकाबले ज्यादा कदमों की चहलकदमी महसूस की. सफर बढ़ता गया और धीरे धीरे ही सही लेकिन नाग देवता के आशीष से यह कारवाँ कही बड़ा होता गया। शुरुआत के समय मुझ तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग ही एक मात्र जरिया था लेकिन अब सड़क मार्ग होने से मुझ तक पहुंचना आसान हुआ है। आधुनिकता के इस दौर में भले ही मनोरंजन के साधनों की भरमार हुई हो लेकिन आज भी यहां होने वाले मेले की रौनक कम नही हुई. भेंकलनाग देवता की इस जमीन पर बसे लोगों की अथक मेहनत और विश्वास के चलते आज भी पौराणिक लोकसंस्कृति मुझे अतीत की याद दिला जाती है। शुरुआत में मेले का आयोजन अपनी लोकसंस्कृति को पहचान दिलाने, लोगों के मेलजोल का माध्यम बनने और स्थानीय प्रतिभाओं को मंच दिलाने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। मेरी इस जमी पर हुए अब तक के मेलो ने अपने इस उद्देश्य को हमेशा साकार किया है। इस मंच से कई प्रतिभाओं को बड़ा नाम और शोहरत हासिल हुई है। मेरे इस मैदान से ही कई खिलाड़ियो को मंच मिला है और यह सिलसिला आज भी मेरी आँखों के सामने हर साल जारी रहता है। मैं तालगैर का मैदान हूं ओर मैनें अपनी इस जमी पर आयोजित मेलों की हर छटा का भरपूर आनन्द लिया है। मेरे इस सफर में मुश्किलें भी आई लेकिन स्थानीय आयोजको ने मुझे कभी भी यह महसूस नही होने दिया। मेरी इस जमी के आस पास मौजूद बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थलों को भी एक पहचान मिलें साथ ही देश विदेश से पर्यटक मेरे क्षेत्र में प्राकृतिक सुंदरता देखने पहुंचे यही एक सपना अब बाकी है। तीस साल से अधिक के इस सफर में यादों का लंबा इतिहास रहा है। ओर आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। उम्मीद करता हु की आने वाले समय में आप भी भेंकलनाग देवता का आशीष लेने अवश्य पहुंचेंगे। सुदृर बुग्यालों में जीवनशैली हमेशा से खास रही है और यहां होने वाले मेलों में यह ओर भी खास नजर आती है। मैं तालगैर का मैदान हूं और यह थी मेरी अपनी कहानी। आपको मेरी यादों का यह सफर कैसा लगा कृपया कमेंट कर अवश्य बताइये साथ ही चैनल को अवश्य सब्सक्राइब कीजियेगा। आज के इस सफर में इतना ही आगे भी मैं तालगैर मैदान आपसे अपने अनुभव लेकर आता रहूंगा तब तक के लिए नमस्कार. व्हाट्सप्प सम्पर्क - 9634544417 हिमालयन हाइवेज, उत्तराखंड,चमोली,थराली,भेंकलताल मेला, ब्रहमताल, रतगांव, उत्तराखंड के मेले, लोकसंस्कृति, गढ़वाली गीत, गढ़वाली लोकनृत्य, HIMALAYAN HIGHWAYS, UTTARAKHAND, CHAMOLI, RATGAANV VILLAGE, BHENKALTAAL MELA,

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