У нас вы можете посмотреть бесплатно संत सरल चित जगत हित जानि सुभाउ सनेहु श्री रामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास प्रसंग или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru
संत का स्वभाव सरल और संसार का कल्याण चाहने वाला होता है । इसके विपरीत दुष्ट का स्वभाव दूसरो को पीङा देने वाला होता है ।दुष्ट हृदय व्यक्ति उनका कल्याण चाहने वाले व्यक्ति का भी नुकसान करने वाले होते है ।दुष्ट हृदय व्यक्ति दूसरो के हितो की हानि मे ही अपना लाभ समझते है । जिस प्रकार ओला फसल पर गिरकर फसल को नष्ट कर देता है तथा उसका स्वयं का भी अस्तित्व नष्ट हो जाता है । जिस प्रकार मक्खी घी मे गिरकर घी को नष्ट कर देती है और स्वयं भी मर जाती है उसी प्रकार दुष्ट सदैव अपने को नष्ट करके भी दूसरो का अहित करने मे संलग्न रहते है। ऐसे दुष्ट सदैव समाज के लिए और मानवता के लिए घातक होते है ।