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पृथ्वी पर अगल-अलग प्रकार के जीवन का विकास हुआ है जो मानव के अस्तित्व में आने के साथ ही उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता रहा है और आज भी कर रहा है। प्रकृति में अनेक प्रकार के जीव-जन्तु हैं जो पारिस्थितिक तंत्र के अनुरूप विकसित और बढ़े है और उनका जीवन तब तक सामान्य रूप से चलता रहता है जब तक पर्यावरण अनुकूल रहता है। लेकिन मनुष्य ने अपने विकास के क्रम में न केवल पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ा है बल्कि वन्य जीवों और समुद्री जीवों के अस्तित्व पर खतरा खड़ा कर दिया है। आज मानवीय गतिविधियों के कारण पूरी दुनिया में वन्यजीवों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की रिपोर्ट लिविंग प्लैनेट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि बढ़ती इंसानी गतिविधियों के कारण 1970 के बाद से अब तक दुनिया भर में जीव-जंतुओं की संख्या में 60 फीसदी कमी आई है। इस रिपोर्ट को पक्षी, मछली, स्तनधारी, उभयचर और सरीसृप की अलग-अलग करीब चार हजार प्रजातियों का अध्ययन कर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि मानव गतिविधियों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो दुनिया में वाइल्ड लाइफ तबाही के कगार पर पहुंच जाएगी। आज विशेष के इस अंक में हम इसी जैव असंतुलन पर बात करेंगे, इसके अलावा रिपोर्ट की मुख्य-मुख्य बातों को समझेंगे और ये भी जानेंगे कि कैसे प्लास्टिक कचरा समुद्री जीव-जंतुओं पर बड़ा खतरा बन गया है। Anchor – Teena Jha Production – Akash Popli Graphics - Nirdesh, Girish Video Editor - Ravi Shukla, Rama Shankar, Chandan