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Omkareshwar jyotirling yatra || Omkareshwar darshan || जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रहस्य 🙏🏻 7 дней назад


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Omkareshwar jyotirling yatra || Omkareshwar darshan || जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रहस्य 🙏🏻

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में चौथा ओम्कारेश्वर है. ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था. वेद पाठ का प्रारंभ भी ॐ के बिना नहीं होता है. उसी ओमकार स्वरुप ज्योतिर्लिंग श्री ओम्कारेश्वर है, अर्थात यहाँ भगवान शिव ओम्कार स्वरुप में प्रकट हुए हैं. ज्योतिर्लिंग वे स्थान कहलाते हैं जहाँ पर भगवान शिव स्वयम प्रकट हुए थे एवं ज्योति रूप में स्थापित हैं. प्रणव ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से समस्त पाप भस्म हो जाते है. पुराणों में स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओम्कारेश्वर क्षेत्र की महिमा उल्लेख है. ओम्कारेश्वर में कुल ६८ तीर्थ है. यहाँ ३३ कोटि देवता विराजमान है. दिव्य रूप में यहाँ पर १०८ प्रभावशाली शिवलिंग है. ८४ योजन का विस्तार करने वाली माँ नर्मदा का विराट स्वरुप है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर से ७७ किमी की दुरी पर है. एवं यह ऐसा एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा के उत्तर तट पर स्थित है. भगवान शिव प्रतिदिन तीनो लोकों में भ्रमण के पश्चात यहाँ आकर विश्राम करते हैं. अतएव यहाँ प्रतिदिन भगवान शिव की विशेष शयन व्यवस्था एवं आरती की जाती है तथा शयन दर्शन होते है समय सारिणी दर्शन समय क्रमांक दर्शन समय प्रातः कालीन 1 06:00 AM - 08:00 AM प्रातः कालीन 2 08:00 AM - 10:00 AM प्रातः कालीन 2 10:00 AM - 12:00 PM मध्यान्ह आरती श्रृंगार 12:00 PM - 01:00 PM मध्यान्ह कालीन 1 01:00 PM - 03:00 PM मध्यान्ह कालीन 2 03:00 PM - 05:00 PM संध्या कालीन 1 05:00 PM - 07:00 PM शयन श्रृंगार आरती 08:00 PM - 09:00 PM अन्य दर्शनीय स्थल ममलेश्वर ममलेश्वर मंदिर नर्मदा के दक्षिण तट पर स्थित है इसका सही नाम अमरेश्वर है. भक्तगण ओंकारेश्वर एवं ममलेश्वर दोनों जगह दर्शन पूजन करते हैं. यह मंदिर प्राचीन वास्तु कला एवं शिल्पकला का अद्वितीय नमूना है. मंदिर की दीवारों पर विभिन्न महिम्न स्त्रोत उकेरे गए हैं जो की १०६३ इस्वी के बताये जाते हैं. महारानी अहिल्या बाई होलकर इस मंदिर में पूजन अर्चन किया करती थीं एवं तभी से आज तक होलकर स्टेट के पुजारी यहाँ पूजन करते हैं. मंदिर का प्रबंधन ‘अहिल्याबाई खासगी ट्रस्ट’ द्वारा किया जाता है. यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा घोषित संरक्षित स्मारक है. पंचमुखी गणेश मंदिर सभी देवों में भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाते हैं. ओंकारेश्वर में मुख्य मंदिर के पहले पंचमुखी गणेश मंदिर स्थित है. यहाँ गणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है. यह उसी पाषाण में उत्पन्न हुई है जिसमे श्री ओंकारेश्वर प्रकट हुए है. मूर्ति में २ मुख दायें २ मुख बाएं एवं १ सामने की ओर है. भक्त श्री ओंकारेश्वर से पहले यहाँ दर्शन करते हैं. भादों मॉस की चतुर्थी को यहाँ यज्ञ का आयोजन किया जाता है वृहदेश्वर मंदिर यह मंदिर ममलेश्वर मंदिर के समीप स्थित है .मंदिर में अत्यंत ही सुन्दर शिल्पकारी एवं नक्काशी की गयी है एवं यह मंदिर अत्यंत ही दर्शनीय है. वर्तमान में यहाँ २४ अवतारों की मूर्तियां स्थापित है. गोविन्देश्वर मंदिर एवं गुफा यह मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर के प्रवेशद्वार के पास ही स्थित है. यह एक सर्वमान्य तथ्य है की जगद्गुरु शंकराचार्य ने दीक्षा एवं योग लेख शिक्षा अपने गुरु गोविन्द भाग्वदपाद द्वारा ओंकारेश्वर में ही ग्रहण की थी. वह स्थान जहाँ जगद्गुरु शंकराचार्य ने दीक्षा ग्रहण की थी श्री गोविन्देश्वर मंदिर कहलाता है एवं जहाँ गुरु गोविन्द भाग्वदपाद निवास करते थे तथा तप किया करते थे वह स्थान गोविन्देश्वर गुफा कहलाता है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार सन १९८९ में जगद्गुरु जयेन्द्र सरस्वती द्वारा करवाया गया था एवं निर्माण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमण ने किया था. अन्नपूर्णा मंदिर यह एक प्राचीन मंदिर है जिसमे एक विशाल परिसर निर्मित किया गया है. इस परिसर में सर्वमंगला मंदिर भी स्थित है जिसमे देवी लक्ष्मी, सरस्वती एवं पार्वती की मूर्ति स्थापित है. यहाँ एक ३५ फुट ऊँची भगवान कृष्ण की विराट स्वरूप मूर्ति स्थापित है. भगवान कृष्ण के विराट स्वरुप का वर्णन श्रीमद भगवतगीता में किया गया है. महाकालेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर में मंदिर के नीचे से दूसरे तल पर श्री महाकालेश्वर मंदिर भी स्थित है जैसा की उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग में श्री ओंकारेश्वर मंदिर भी स्थित है. यहाँ श्री महाकाल ऊपर एवं श्री ओमकार नीचे हैं एवं इसके उलट उज्जैन में श्री ओमकार ऊपर एवं महाकाल नीचे हैं. यहाँ श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तगण श्रद्धाभाव से पूजन अर्चन करते हैं एवं इनका दर्शन भी सम्पूर्ण ओंकारेश्वर दर्शन में आवश्यक माना जाता है. गुरुद्वारा ओंकारेश्वर साहिब श्री गुरुनानक देव जी महाराज अपनी देशव्यापी धार्मिक यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर आये थे. इसी घटना की स्मृति में सिक्ख समाज द्वारा यहाँ पर एक गुरुद्वारा निर्मित किया गया है. हिंदू एवं सिक्ख समाज के धर्मावलंबी यहाँ श्रद्धाभाव से दर्शन करते ओंकारेश्वर ज्योिर्लिंग कैसे पहुंचे ओंकारेश्वर भारत के लगभग मध्य में स्थित है यह मध्य प्रदेश के प्रमुख नगर इंदौर के समीप है. यहाँ आने के लिए कई प्रकार से साधन उपलब्ध हैं. यात्रीगण इंदौर एवं खंडवा से निजी टैक्सी से भी ओम्कारेश्वर आ सकते हैं. हवाई अड्डा: देवी अहिल्याबाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, इंदौर. 77 किमी एयर इंडिया, जेट एयरवेज, इंडिगो की नियमित उड़ाने सभी मुख्य नगरों के लिए उपलब्ध है. और विवरण रेलवे जंक्शन: खंडवा: सम्पूर्ण भारत में कहीं भी जाने के लिए सुपरफास्ट एवं एक्सप्रेस ट्रेन उपलब्ध हैं. बस स्टैंड: मोरटक्का: यहाँ से इंदौर, उज्जैन, खंडवा, खरगोन के लिए सीधी बस उपलब्ध हैं. इसके अतिरिक्त सनावद से ओंकारेश्वर आने के लिए सड़क मार्ग भी उपलब्ध है खंडवा, बुरहानपुर की ओर से आने वाले यात्री सीधे इस मार्ग से भी आ सकते हैं. subscribe,like,share 🙏🏻

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